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उजड़ते जोशीमठ की कार्रवाई जारी, शहर में दारार वाले भवनों की संख्या लगातार बढ़ रही

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जोशीमठ/ भारती दुबे: जोशीमठ प्रलय के मुहाने पर खड़ा है। जोशीमठ शहर में दारार वाले भवनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लोग अपने पुश्तैनी छतों को छोड़कर अस्थाई कमरों में रह रहे हैं। कुल दरार वाले भवनों की संख्या अब तक 863 हो गई है। प्राचीन ग्लेशियर के टूटने से आए मलबे पर बसा शहर अब छलनी-छलनी हो गया है। अंदर से घर बिलकुल कमजोर और नाजुक हो गए है। सरकार की मानें तो ध्वस्त किए जाने वाले भवनों की संख्या और बढ़ सकती है। वहीं सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने बताया कि प्रभावित किरायेदारों को भी 50 हजार रुपये की सहायता राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि घर खाली करने के बाद सामान ढुलाई में उनको मदद पहुंचाई जा सके। 

बता दें जोशीमठ एक प्राचीन भूस्खलन के मलबे पर बसा हुआ शहर है। ज्यादातर हिस्सा ढलान है। ढलानों की ऊपरी मिट्टी कमजोर है। इसके साथ ही इसके ऊपर बेतरतीब हुए निर्माण का वजन बहुत ज्यादा है। जिससे लगातार पोर प्रेशर बढ़ रहा है और जमीन खिसक रही है। 

बारिश का पानी और घरों-होटलों से निकलने वाले गंदे पानी के निकासी की सही व्यवस्था नहीं थी। यह जमीन के अंदर रिसते रहे और इससे मिट्टी की ऊपरी परत कमजोर होती चली गई। जिसके कारण ढलानों की मजबूती खत्म हो गई। इसलिए अंदर से खोखला होने से इनमें दरारें पड़ने लगीं। 

जोशीमठ में होटलों को ढहाने का काम जारी है, लेकिन दूसरी ओर असुरक्षित भवनों के ध्वस्तीकरण पर मनोहरबाग वार्ड के प्रभावित अड़ गए हैं। प्रभावितों के आक्रोश के चलते यहां काम रोका गया है। जबकि अन्य दो होटल माउंट व्यू वह मलारी इन के साथ ही एक घर को तोड़ने का कार्य जारी है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि संभवतः बारिश के कारण रिसाव बढ़ गया है। लेकिन इसका वैज्ञानिक पहलू क्या है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। सीबीआरआई की ओर से सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद ही इनकी सूची जारी की जाएगी।






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