Breaking News

टेंट लगाकर हो रही जमीनों पर कब्जों की शुरूआत

http://www.pioneerhindi.com/storage/article/E1wDQFW2tdnOs5A6yT7GfGL5vY5x7vsFAlvgsstS.jpg

राजेश दास/ फरीदाबाद: नगर निगम, वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों की लापरवाही से जहां लगातार अरावली के जंगलों को नष्ट किया जा रहा है, वहीं शहर की बेशकमीती सरकारी जमीनों पर छुट भैये नेताओं और दबंगों की शह पर अवैध बस्तियां बस चुकी हैं। खोरी बस्ती के बाद अब नगर निगम ने करीब दो महीने बडख़ल की जमाई कालोनी में अपनी जमीनों से अवैध कब्जे हटाए हैं। ऐसा नहीं है कि नगर निगम, एचएसवीपी और अन्य संबंधित विभागों के पास सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने, रोकने या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर विभागों के पास अपने अपने तोडफ़ोड़ दस्ते और कार्रवाई के लिए अन्य संसाधन मौजूद हैं। इन तोडफ़ोड़ दस्तों में जरूरत के मुताबिक स्टाफ भी मौजूद है। लेकिन इसके बावजूद नगर निगम और अन्य संबंधित विभाग अवैध कब्जों को हटाने में रूचि नहीं दिखाते। अदालत के आदेश पर तोडफ़ोड़ करने के बाद विभाग जमीनों को उनके हाल पर छोड़ देते हैं। जिससे जमीनों पर फिर कब्जे हो जाते हैं। करीब दो महीने पहले निगम ने जमाई कालोनी में जमीन खाली करवाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। वहीं कई दिनों तक चली कार्रवाई के दौरान निगम काफी पैसा भी खर्च। लेकिन अब फिर जमाई कालोनी कब्जे होने शुरू हो गए।

फिर से हो रहे हैं कब्जे

बडख़ल गांव के पास वन क्षेत्र में नगर निगम की काफी जमीन पड़ी हुई। इस जमीन पर वर्षो पहले लोगों ने कब्जे करने शुरू कर दिये थे। नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों की तरफ से ध्यान न दिये जाने से यहां पर सैंकड़ों की संख्या में मकान बना कर लोग रहने लगे। खोरी गांव में स्थित वन क्षेत्र की जमीन से अदालत के आदेश पर कब्जे हटाए गए थे। जिसके बाद जमाई कालोनी में निगम द्वारा करीब दो महीने पहले तोडफ़ोड़ की गई। इस दौरान निगम ने रूक रूक कर कार्रवाई करते हुए सैंकड़ों की संख्या में मकानों को तोड़ कर कब्जे खाली करवाए थे। लेकिन तोडफ़ोड़ की कार्रवाई करने के बाद नगर निगम द्वारा उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसके कारण जमाई कालोनी में स्थित नगर निगम की जमीन पर लोगों ने फिर से कब्जे करने शुरू कर दिये हैं। कहीं टेंट लगाकर तो कहीं कच्चे निर्माण कर सरकारी जमीन पर कब्जे किये जा रहे हैं। नगर निगम द्वारा जल्दी ही फिर से ध्यान न दिये जाने पर यह कब्जे पक्के निर्माणों में तब्दील हो जाएंगे।

सरकारी जमीनों पर बसी कई बस्तियां

सरकारी जमीनों पर होने वाले अतिक्रमण और अवैध निर्माण शहर के लिए नासूर बनता जा रहा है। शहर की ज्यादातर सरकारी जमीनों पर स्लम बस्तियां बसी हुई हैं। बाइपास रोड, अनंगपुर बांध, राहुल कालोनी, कल्याणपुरी, नेहरू कालोनी समेत शहर में कई बड़ी बड़ी स्लम बस्तियां सरकारी जमीनों पर बस चुकी हैं। इनके अलावा भी सरकारी जमीनों पर अनेक अवैध बस्तियां बसी हुई हैं। इन बस्तियों को हटाने और इनमें रहने वाले लोगों को साफ सुथरा माहौल देने के लिए सरकार ने इन्हें अपने मकान देने की योजना बनाई थी। जिसके तहत बल्लभगढ़ और डबुआ कालोनी में नगर निगम द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से हजारों फ्लैट तैयार किए थे। बल्लभगढ़ में तो ज्यादातर फ्लैटों में स्लम बस्तियों के लोगों को शिफ्ट किया जा चुका हैं। अब डबुआ कालोनी में स्थित खाली फ्लैटों में खोरी से उजड़ कर आए लोगों को शिफ्ट करने की तैयारी हो रही हैं। अन्य सरकारी जमीन पर बसी बस्तियों के लोगों को शिफ्ट करने के लिए निगम के पास फ्लैट भी नहीं बचे। ऐसे में इन्हें हटाना काफी टेड़ीखीर साबित हो सकता है।

जमीनों पर कब्जे का जिम्मेदार कौन

सरकारी जमीन पर झुग्गियां बनने के दौरान संबंधित विभाग उन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं करता। जिससे कुछ दिनों में घनी आवादी बस जाती है। जहां बिजली के कनेक्शन भी लग जाते हैं। इन बस्तियों को राजनेतिक संरक्षण मिलने पर नगर निगम और विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा विकास कार्य करवाए जाने लगते हैं। शहर की ज्यादातर सरकारी जमीनों पर बसी अवैध बस्तियों में नगर निगम अथवा अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा सडक़ों, गलियों, नालियों का निर्माण करवाया कर स्ट्रीट लाइटें भी लगाते हैं। इन बस्तियों में निगम की तरफ से पानी और सीवर के कनेक्श्न उपलब्ध करवाए जाते हैं। कुछ समय बाद कच्चे मकान पक्के निर्माणों में तब्दील होने लगते हैं। लेकिन उस दौरान कोई भी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं करता है। यहां तक कि इन बस्तियों को बसाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की लगाम कसने का भी कोई प्रयास नहीं करता। कब्जों के लिए जिम्मेदार अधिकारी सेवानिवृत होकर चले जाते हैं। जिम्मेदारी तय न होने और संबंधित विभागों के अधिकारियों पर कार्रवाई के अभाव में हर रोज शहर में स्थित सरकारी जमीनों पर लगातार अवैध कब्जे हो रहे हैं।

जिम्मेदारों पर नहीं होती कार्रवाई

सामाजिक कार्यकर्ता गुरमीत सिंह का कहना है कि शहर में होने वाले अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों की लापरवाही ही जिम्मेदार है। अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के मामले में नगर निगम अथवा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। तोडफ़ोड़ के दौरान होने वाले सरकारी खर्च की रिकवरी कार्यरत अथवा सेवानिवृत हो चुके जिम्मेदार अधिकारी से की जानी चाहिए।

ताज़ा समाचार

Categories